बैदा गांव में एक हफ्ते में 12 लोगों की मौत के बाद मचा हाहाकार
कोरोना महामारी ने अब गांवों में पैर पसार दिया है। रुद्रपुर के छपौली गांव में 6 मई को जहां पिता-पुत्री की मौत हो गई वहीं बैदा गांव में सात दिन में 12 लोगों की जान जा चुकी है। छपौली गांव निवासी अयोध्या वर्मा पुत्र अभिमन्यु की पुत्री लीली वर्मा को सांस लेने में तकलीफ हो रहा थी। परिजन उसे इलाज के लिए गोरखपुर ले गए। वहां जांच मेें कोरोना पॉजिटिव पाए जाने पर वह भर्ती हो गई। उसका इलाज चल रहा था। इधर रात में अयोध्या की तबियत खराब हो गई और सांस लेने में तकलीफ होने लगी। सुबह उनकी मौत हो गई। दिन में लीली ने भी अस्पताल में दम तोड़ दिया। बैदा गांव में गुरुवार को रिटायर शिक्षक बेचन अली, रेलवे के अवकाश प्राप्त कर्मचारी रमाशंकर पाल और बैरिस्टर चौहान की मौत हो गई। इन सभी लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो रहा थी। प्रधान रामेश्वर पाल ने बताया कि दो मई से लेकर चार मई के बीच मुखलाल निषाद, प्रदीप कन्नौजिया, शंकर पासवान, रामनिवास यादव, मीरा देवी, उर्मिला देवी, किशोरी देवी की मौत सांस लेने में तकलीफ के चलते हुई है। रमाशंकर पासवान बीडीसी के प्रत्याशी थे। मतगणना से पहले ही एक मई की रात में उनकी तबियत खराब हो गई। गणना के दिन तीन बजे दिन में जिला अस्पताल में उनकी मौत हो गई थी। इस संबंध में सीएचसी रुद्रपुर के अधीक्षक डॉ.दिनेश यादव ने कहा कि बैदा गांव में फोकस सेम्पलिंग कराने के लिए निर्देश दे दिया गया है। इस घटना की जानकारी होने के बाद 7 मई को बैदा गांव में स्वास्थ्य विभाग की टीम पहुंची। सीएचसी रुद्रपुर अधीक्षक डॉ.दिनेश यादव के नेतृत्व में टीम बैदा गांव पहुंची। टीम ने पीड़ित परिवार के घर के सदस्यों की कोरोना जांच की। अधीक्षक डॉ.दिनेश यादव ने बताया कि बैदा में 58, पचरुखा में 28 व तिघरा खैरवा गांव में 27 लोगों का एंटीजन किट से जांच की गई है। जिसमें एक भी व्यक्ति संक्रमित नहीं मिला। टीम में डॉ.एसएन मणि, डॉ.सुशील कुमार मल्ल, डॉ.उमाशंकर जायसवाल, डॉ.किरन वर्मा, फार्मासिस्ट मनीष, स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी एलबी चौधरी, स्वास्थ्य पर्यवेक्षक विकास कुमार, एलटी पीएन सिंह, रितेश राज राव व शब्रे आलम शामिल रहे।
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