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    पिता के प्रधान बनने पर बेटे ने गांव के विकास के लिए दिए एक करोड़ रुपए


     यूपी के देवरिया में एक व्यक्ति के नवनिर्वाचित ग्राम प्रधान चुने जाने के बाद उसके बेटे ने गांव के विकास के लिए अपने पास से एक करोड़ रुपये की सौगात दी है जिससे गांव का विकास हो सके. दरअसल, पथरदेवा विकासखंड के ग्राम मेंदी पट्टी में ग्राम प्रधानी का चुनाव बहुत ही दिलचस्प था. एक तरफ 86 साल के गिरिजा लाल श्रीवास्तव जो सेवानिवृत शिक्षक हैं, वो चुनाव मैदान में थे तो वहीं निवर्तमान प्रधान डॉक्टर फकरे आलम और गांव के ही एक अन्य प्रत्याशी पंकज दत्त राय भी जोर शोर से चुनाव लड़ रहे थे. लेकिन जब परिणाम आया तो गिरिजा लाल श्रीवास्तव ने 42 वोटों से जीत दर्ज कर ली. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि गिरिजा लाल श्रीवास्तव के ग्राम प्रधान चुने जाने पर उनके बेटे सुरेंद्र ने एक करोड़ रुपये गांव के विकास के लिए देने का ऐलान कर दिया. उत्तराखंड में माइन्स कारोबारी और समाजसेवी सुरेंद्र लाल ने गांव के चार टोला जो है उसके लिए कार्य योजना बनाना भी शुरू कर दिया है. गांव के लिए सड़क, नाली, पक्के मकान और शिक्षा के लिए जो भी जरूरत होगी वो किया जाएगा.सुरेंद्र लाल की तरफ से ही 4 मार्च 2019 में डेढ़ करोड़ की लागत से गांव में ही नर्मदेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण कराया गया था, जिसका उद्घाटन प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया था. और अब सुंदर लाल ने अब अपने पिता के ग्राम प्रधान चुने जाने पर ग़ांव के विकास के लिए एक करोड़ रुपये दिए हैं.सुरेंद्र लाल कहते हैं, “बहुत खुशी महसूस हो रही है. पूरा गांव प्रसन्न है कि गांव का अब विकास होगा. 20 साल तक कोई काम नहीं हुआ है. सड़क, नाली, गरीबों के कच्चे मकान नहीं बने हैं अब तक. इसीलिए एक करोड़ का बजट दिया गया है. इस ग्राम सभा में पूरा 4 टोला है मेदीपट्टी, मेंदी पट्टी टोला, आराजी पट्टी और बेलवरिया. मेंदीपट्टी को 40 लाख, मेदी पट्टी को 28 लाख, आराजी पट्टी को 18 लाख और बेलवरिया को 14 लाख का बजट दिया है. ” उन्होंने कहा, “यह बजट निजी तौर पर मैं अपने पास से दे रहा हूं, ताकि गांव में समृद्धि बढ़े. जो सरकारी बजट आएगा वो भी उनको दिया जाएगा.”वहीं, नवनिर्वाचित ग्राम प्रधान गिरजा लाल श्रीवास्तव कहते हैं, “हम तो अध्यापक हैं. 1996 में रिटायर हुए थे जूनियर हाई स्कूल तरकुलवा से. चुनाव लड़ने का ख्याल तो नहीं आया था, लेकिन गांव के लोगों ने कहा कि आपको चुनाव लड़ना है. लोगों की यह सोच थी कि चुनाव लड़ेंगे जीतेंगे तो लोगों की सेवा करेंगे. विकास का काम होगा जो काम नहीं हुआ है वो पूरा करेंगे. वो काम करेंगे जो अधूरा रह गया है. निजी तौर से एक करोड़ का बजट हमारे बेटे ने दिया है उससे ग़ांव का विकास करेंगे. जो सरकारी बजट आएगा वो भी विकास में लगाया जाएगा.”

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