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    कुम्हारों के ऊपर रोजी-रोटी का संकट मिट्टी की कमी से कुम्हारों का धंधा खतरे में

    कुम्हारों के ऊपर रोजी-रोटी का संकट मिट्टी की कमी से कुम्हारों का धंधा खतरे में 


    पीपीगंज गोरखपुर। बांसगांव संदेश। गोरखपुर जिले के कैंपियरगंज तहसील के रायपुर ग्राम सभा में रहने वाले कुम्हारों के लिए रोजी-रोटी का संकट गहराता जा रहा है। इन कुम्हारों को मिट्टी न मिलने के कारण अपना काम करना मुश्किल हो रहा है। यदि उन्हें जल्द ही मिट्टी नहीं मिली तो इनके चूल्हे जलना बंद हो जाएंगे और इनके परिवारों पर भूखमरी का खतरा मंडरा रहा है।


    यह कला न केवल इन कुम्हारों की आजीविका का साधन है, बल्कि यह एक अनूठी और विशेष कला भी है। टेराकोटा मिट्टी से बनी मूर्तियों, बर्तनों और अन्य वस्तुओं के लिए जाना जाता है। यह कला सदियों से चली आ रही है और रायपुर गांव इसकी पहचान है।
    सरकारी योजना का दयनीय हाल उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा शुरू की गई "एक जनपद-एक उत्पाद" योजना का उद्देश्य रायपुर जैसे गांवों में कुम्हारों जैसे पारंपरिक कारीगरों के हस्तशिल्प को बढ़ावा देना था। लेकिन, मिट्टी की कमी के कारण यह योजना यहां विफल हो रही है।इस समस्या से निपटने के लिए, रायपुर के कुम्हारों ने प्रशासन से गुहार लगाई है कि उन्हें मिट्टी उपलब्ध कराई जाए। उनका कहना है कि बर्तन बनाने के लिए सभी प्रकार की मिट्टी का उपयोग नहीं होता है। उन्हें केवल एक विशेष प्रकार की मिट्टी की आवश्यकता होती है जो आसानी से उपलब्ध नहीं है। कुछ जगहों पर किसान मिट्टी को निकालने से मना कर देते हैं जिससे हम लोग अपना पारंपरिक व्यवसाय नहीं कर पा रहे हैं। इस अवसर पर राम अवतार प्रजापति दिलबहार प्रजापति जोखू प्रेमचंद धाना देवी प्रभावती रामदेई व अन्य लोग मौजूद रहे।

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